हर माँ -पिता की इच्छा होती है कि उनका बेटा पढ़ाई में आगे हो। वे उनके बेहतर भविष्य के लिए अच्छे स्कूल में एडमिशन से लेकर उनके हर जरूरी सुविधा का ख्याल रखते हैं। स्कूल के साथ-साथ वे घर में भी उन्हें अच्छा माहौल देने की कोशिश करते हैं। इसके बावजूद कई माँ-पिता की ये शिकायत होती है कि उनका बच्चा ठीक से पढ़ाई नहीं करता है या एग्जाम में कम मार्क्स पाता है। अगर ऐसा आपके भी बेटे के साथ हो रहा है तो आपको खुदको समझने की जरूरत है कि आप अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए सही तरीका अपना रहे हैं या नहीं। बच्चों को कोई भी काम डांटकर या जोर-जबरदस्ती से नहीं करवाया जा सकता है। इसलिए, बच्चों के साथ माता-पिता को भी बच्चा बनना जरूरी है। आज हम आपको kamkijankari.com के जरिए कुछ ऐसे टिप्स देंगे जिससे आप अपने बच्चे पर बेहतर तरीके से ध्यान देकर पड़ा पाएंगे। जिससे आपके बच्चे में मन लगाकर पड़ने की कला विकसित होगी और वह अपने मार्क्स और ज्यादा ला सकेगा। उम्मीद करते है आप यह लेख पूरा पड़ेंगे और बाकी भी लोगों में शेयर करेंगे ताकि वह भी इन चीजों का लाभ उठा पाएंगे. तो बच्चों को पढ़ाने के तरीके कुछ इस प्रकार हैं :
1) बच्चे के पढ़ने के तरीके को समझें
बच्चे के पड़ने या उसके हैबिट को सुधारने से पहले पैरेंट्स पहले यह देखें कि उनके बच्चे के पढ़ने का तरीका क्या है और वे कैसे पढ़ाई करना पसंद करता हैं। कई बार बच्चा थोड़ा पढ़ाई और थोड़ा खेलने लगता है तो कई बच्चे पड़ते समय आजु बाजू कि चीजों में ज़्यादा ध्यान देते है या बिना मतलब की बातों को शुरू कर टाइम पास करने की सोचते है. ऐसे में उनके तरीक़े को समझकर उसे सुधारने का प्रयास करे ताकि वह मन लगाकर पड़ सके. आजकल बच्चों के पढ़ाई की कई नये तरह की नई-नई तकनीक आ चुकी है। ऑडियो और वीडियो उन्हीं में से एक है। ऐसे में यह जानें कि बच्चे ऑडियो और वीडियो में से किस फॉर्मेट को पढ़ने के लिए चुनते हैं। बच्चों को उस फ़ॉर्मेट में पढ़ाकर नियमित तौर पर पड़ने के लिए रुचि जागृत करना होगा.
2) बच्चे के साथ बैठें पैरेंट्स
दोस्तों कई बार ऐसा देखा गया है पैरेंट्स बच्चों को पड़ने के लिए बोल देते है या होम वर्क पूरा करने के लिए लेकिन वह उसके साथ कभी बैठते नही है। या कई बार वह खुदके काम में बिजी हो जाते है लेकिन यह तरीका एकदम गलत है। आप कभी भी बच्चों के साथ बैठकर उन्हें पढ़ाए इससे उनमें पड़ने की इच्छा बढ़ती है बच्चों को लगता है उनके अभिभावक उनके लिए मेहनत कर रहे है जिससे वह और ज्यादा अच्छे तरीके से पड़ते है। ध्यान रहे बच्चों को पढ़ाते समय मोबाइल या टीवी न देखे इससे आपका भी ध्यान बच्चों पर नहीं होता वही बच्चो का भी पढ़ाई से मन भटकता है।
3)मार्क्स को लेकर दबाव न डालें
सभी अभिभावक चाहते है की उनका बेटा स्कूल में टॉप करे लेकिन सभी का बच्चा टॉप कर पाना मुश्किल है। इसलिए एक्सपर्ट्स कहते है बच्चों पर मार्क्स ज्यादा लाने के लिए दबाव बनाना गलत बात है बच्चे के नंबर कम आने पर उन पर गुस्सा न करें, बल्कि बच्चे को हमेशा मोटिवेट करें। उन्हें मार्क्स के लिए न पढ़ाएं, बल्कि उनमें सीखने की क्षमता को बढ़ाएं। बच्चे से रोजाना पूछे कि आज उन्होंने स्कूल में क्या नया सीखा और किन-किन चीजों में हिस्सा लिया।
4) बच्चे से पॉजिटिव रहे उनके पक्ष में रहें
बच्चों का मन बहुत ही चंचल होता हैं और उनका मन सादगी से भरा होता है। इसलिए बच्चो को समझने के लिए खुद बच्चो की तरह सोचे। बच्चों को पॉजिटिव रूप से पढ़ाई के प्रति जिम्मेदार बनाए। अगर माता-पिता बच्चे के साथ नेगेटिव होंगे तो वे अपनी पढ़ाई से और दूर भागेंगे यही कारण है की बच्चो को पढ़ाते समय उन्हें समझने की जरूरत है और पढ़ाते समय उनपार किसी तरह का दबाव या डाट फटकार ना करें। अगर बच्चे का मन पढ़ने का नहीं है तो उस वक्त थोड़ी देर के लिए ब्रेक लें और उनका मन बहलाएं उसके लिए जरूरी पड़े तो थोड़ा कॉमेडी या खुशनुमा माहौल बनाए। उन्हें जबरदस्ती पढ़ाने की कोशिश न करें।
5) स्कूल में पढ़ाए गए विषयों पर चर्चा करें
पैरेंट्स को ज़रूरत है की वह अपने बच्चे से इस बात की रोजाना चर्चा करे कि उन्होंने आज सभी विषयों पर क्या पढ़ाई की और उनसे उनके पसंदीदा विषय और टीचर के बारे में भी पूछें। इसके अलावा, अगर बच्चा किसी विषय में कमजोर है या उसे वो विषय पढ़ना अच्छा नहीं लगता है, तो ग्राफिक्स की मदद से बच्चे को उस विषय को पढ़ा सकते हैं। इसमें बच्चा चित्रों या वीडियो के जरिए आसानी से उस विषय में अपनी रुचि बढ़ा सकता है।इससे बच्चों के डाउट्स भी क्लियर होते है और वह स्कूल में पड़ते समय यह सोचकर ज़्यादा ध्यान देते है कि उन्हें उनके पैरेंट्स को समझाने या बताने में दिक़्क़त नहीं होगी.
6) पढ़ाई का शेड्यूल बनाएं
अगर पैरेंट्स को बच्चे को पड़ाई में विकसित करना है तो सिर्फ होमवर्क पूरा कराने से ही बात नहीं बनेगी। जरूरी है कि पढ़ाई का एक शेड्यूल तय कर बच्चे को सभी विषय का रिवीजन कराएं और हर विषय से संबंधित सभी डाउट्स को क्लियर करते चलें। प्रतिदिन बच्चों को कितने घंटे पड़ाई कराना है और उस दौरान कौन-कौन से विषय पड़ाने हैं, शेड्यूल में इस बातों पर अधिक ध्यान दें। अगर बच्चा किसी विषय में ज्यादा कमजोर है, तो उस विषय के लिए थोड़ा अधिक समय भी तय कर सकते हैं।जिससे बच्चों को इन कमजोर विषयों में मज़बूत बनाया जा सके.
7) पढ़ाई का माहौल बनायें
यह सबसे ज़रूरी बात है अगर बच्चे को वाकई पढ़ाना है तो पेरेंट्स को इस बात को बहुत ध्यान देने की नेचुरल है की वह घर में पड़ाई का एक बेहतर माहौल बनाये. इसके लिए पड़ाई के समय घर में शांत माहौल, शोर, टीवी बंद या फिर उस दौरान घर में उनकी पदाई पर कोई अड़चन आये ऐसा माहौल ना बनने दे. घर में बच्ची को अगर किसी विषय में रुचि है जैसे की गेम्स, वाले स्टिकर, नदी या फिर नेचुरल प्लेस के फोटो उनके स्टडी रूम में इस्तेमाल कर सकते है इससे भी बच्चों जा घर में पड़ाई के लिए माहौल बनता है.
8) बच्चे के टीचर से भी मिलें
पैरेंट्स अपने बच्चे के टीचर से हमेशा मिलते रहे यह सबसे भी सबसे ज़रूरी विषयों में से एक है. दोस्तों अगर आपका बच्चा किसी विषय में कमजोर है या फिर उसका नंबर जैसा आना चाहिये न आ रहा हो तो उस विषय में खराब प्रदर्शन के कारणों को जानने के लिए उनके टीचर से मिलें। टीचर से मिलने पर यह पता चलता है की बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं है, बच्चा समझने में कमजोर है, उसकी दिनभर की गतिविधियां, दूसरों के साथ उसका रवैया, ऐसे मुद्दों पर टीचर से डिस्कस करें। अगर बच्चे को किसी तरह की कोई समस्या है, जैसे – क्लास में किसी बच्चे द्वारा परेशान करना इस बारे में भी जानने का प्रयास करे. बच्चा जिन बच्चों के साथ क्लास में बैठता है यह जाने अगर बच्चा किसी विषय में कमजोर है तो उस क्लास टीचर से जानकारी ले कैसे उस विषय में उसकी रुचि बढ़ाये. टीचर से मिलकर आप आपने बच्चे को पदाने के लिए नई रणनीति पर काम कर सकते है.
दोस्तों अगर आप इन सभी बातों पर ध्यान देते है तो आप देखेंगे कि आपके बच्चे की पढ़ाई में काफ़ी इम्प्रूवमेंट आया है और वह पहले से काफ़ी बेहतर हो गया है. दोस्तों उम्मीद है आपको हमारी यह जानकारी जो हमने कई माध्यम से इकट्ठा कर आपसे शेयर किया है वह सही और उपयोगी लगा हो. अगर आपको भी यह जानकारी सही लगी है तो आप अपने दोस्तों से फ़ेसबुक, व्हाट्स App और बाक़ी माध्यम से शेयर कर सकते है.