After all, why did a poster increase tension in BJP in Ulhasnagar?
कल्याण लोकसभा में बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता अक्सर आपस में भिड़ते रहते हैं. कल्याण लोकसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे को स्थानीय बीजेपी नेता कई बार घेरते रहते हैं. इस बीच ऐसा लग रहा है कि शिंदे गुट के समर्थकों ने भी अब बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है.
मिली जानकारी के अनुसार अब शिंदे गुट के नेताओं ने उल्हासनगर विधानसभा जहां से बीजेपी के कुमार आयलानी विधायक हैं, वहां शिंदे गुट के उल्हासनगर के नेता हरजिंदरसिंह भुल्लर उर्फ विक्की को भावी विधायक के तौर पर पेश करने की कोशिश की है.
विक्की के जन्मदिन के मौके पर उनके समर्थकों ने शहर भर में कई जगहों पर पोस्टर लगाए हैं, जिसमें उनके कुछ समर्थको ने उन्हें भावी विधायक लिखकर संबोधित किया है.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी विधायक के इलाके में शिंदे गुट के नेता के भावी विधायक के पोस्टर से बीजेपी समर्थक नाराज हैं.
गौरतलब है कि विक्की भुल्लर शहर में शिवसेना के वरिष्ठ पूर्व नगरसेवक भुल्लर महाराज के बेटे हैं, जिनका शहर में अच्छा प्रभाव है। भुल्लर महाराज अब तक पांच बार पार्षद चुने जा चुके हैं।
उनके बेटे विक्की ने भी पिछले कुछ सालों में शहर में जोरदार तरीके से काम करना शुरू कर दिया है जिससे युवाओं के बीच उन्हें काफी समर्थन मिल रहा है.
ऐसे में शिवसेना नेता प्रमोद पांडे जिनका की उत्तर शहर के भारतीयों में अच्छी खासी पैठ मानी जाती है उन्होने विक्की भुल्लर के जन्मदिन पर शहर भर में कई पोस्टर लगाकर विक्की भुल्लर को बीजेपी विधायक के क्षेत्र से भावी विधायक बताया है, इससे माना जा रहा है कि बीजेपी और बीजेपी के बीच तनाव और बढ़ेगा.
सूत्रों की माने तो शहर में पूर्व विधायक पप्पू कालानी के जेल से छूटकर आने के बाद शहर में फिर से उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ती जा रही है जिससे कुमार आयलानी को परेशानी थी अब इस बीच अगर भविष्य में विक्की भुल्लर भी विधायक के उम्मीदवार के रेस में आ जाते है इससे भविष्य में किसकी लॉटरी लगेगी यह देखनेवाली बात रहेगी।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, कल्याण लोकसभा में स्थानीय स्तर पर शिवसेना समर्थक कुछ भाजपा नेताओं से नाखुश हैं, जो दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के बावजूद, कल्याण से लोकसभा सांसद और मुख्यमंत्री एकनाथ के बेटे श्रीकांत शिंदे को हमेशा घेरने की कोशिश करते हैं।
सूत्रों की मानें तो अगर दोनों दलों के वरिष्ठ नेता समय रहते अगर दोनों दलों के बीच विवाद में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और अगर दोनों दल एकजुट नहीं होते हैं तो इसका फायदा आगामी चुनाओं में विपक्षी दलों को मिल सकता है।