दोस्तों आज जब ओम राउत द्वारा बनाई गई आदिपुरुष नामक फिल्म पर देश भर में बवाल हो रहा है तो लोग आखिर क्यूँ जापान द्वारा 1993 में बनाए गए रामायण की बात कर रहे है. ऐसे में आज हम आपको जापान में बने उस रामायण की पूरी कहानी बताएँगे.
बात 1985 की है। जापान के फ़िल्म डायरेक्टर युगो साको भारत की यात्रा पर आए थे। अपनी भारत यात्रा के दौरान, वे अयोध्या भी गए। यहीं पर उन्हें रामायण और राम की अद्भुत कथा के बारे में पता चला। राम और रामायण में बढ़ती जिज्ञासा की वजह से उन्होंने जापानी भाषा में 10 अलग-अलग तरह की रामायण को पढ़ लिया।
इलाहाबाद में पुरातत्त्व विभाग की एक खुदाई पर उन्होंने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई। नाम था The Ramayana Relics (द रामायण रेलिक्स)।
हालांकि, इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने दिल्ली स्थित जापानी दूतावास पर जाकर अपना विरोध यह कहकर दर्ज करवाया कि रामायण एक राष्ट्रीय धरोहर है और किसी विदेशी द्वारा इसे इस तरह से फिल्माया नहीं जा सकता।
इसके बाद, युगो साको ने विश्व हिंदू परिषद और भारत सरकार के सामने रामायण को एनिमेशन फ़िल्म के रूप में बनाने का प्रस्ताव रखा और कहा कि एनिमेशन कला जापान में बहुत लोकप्रिय है और इससे रामायण को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाया जा सकेगा।
सरकार ने पहले इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, लेकिन बाद में अस्वीकार कहते हुए कहा कि रामायण एक संवेदनशील विषय है और इसे कार्टून के रूप में दिखाने पर समस्या हो सकती है। उसी समय बाबरी मस्ज़िद की घटना भी हो चुकी थी और सरकार कोई भी खतरा नहीं उठाना चाहती थी।
इसके बाद, युगो ने कोइची सासाकी, राम मोहन और 400-500 अन्य कलाकारों के साथ मिलकर भारत के बजाय जापान में रामायण को एनिमेशन फ़िल्म के रूप बनाने की शुरुआत की।
राम मोहन को ‘फ़ादर ऑफ़ इंडियन एनिमेशन’ माना जाता है। दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले एनिमेटेड प्रोग्राम ‘मीना’ को भी राम मोहन ने ही बनाया था और इन्हें ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
कहा जाता है कि इस टीम में शामिल भारत के कुछ चित्रकार अपने हाथों से बनी पेंटिंग को कुरियर द्वारा जापान भेजते थे और फिर जापान में उन चित्रों पर एनिमेशन किया जाता था।
आखिरकार, साल 1993 में जापान में फ़िल्म रिलीज़ हुई। नाम था Ramayan: The Legend of Prince Ram (रामायण: द लेजेंड ऑफ प्रिंस राम)।
जापान में रिलीज़ हुई फ़िल्म ने जापान में अच्छा बिज़नेस किया और 1997 में भारत में कुछ लिमिटेड स्क्रीन पर रिलीज़ की गई। हालांकि, उस समय इस फ़िल्म को उतने दर्शक नहीं मिले जितने की उम्मीद थी। इसके बाद, हिंदी डब वर्शन को दूरदर्शन और कार्टून नेटवर्क पर प्रसारित किया गया था।
इस फ़िल्म को देखते हुए लगता है कि रामायण देख रहे हैं। रामायण को इतने बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है कि क्या कहें।
ऐसे में हालही में रिलीज हुई आदिपुरुष में डायलाग को लेकर जो बवाल मचा हुआ है इन सबके बीच अब एक जापान द्वारा बनाये गए बेहतरीन रामायण की चर्चा होना देश भर में स्रवाभाविक है
दोस्तों इसके पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जापान में बनी इस फ़िल्म का ज़िक्र ‘मन की बात’ के एक एपिसोड में किया था।