मानसून में भले ही वर्षा ऋतु जैसा महसूस नहीं हो रहा है, लेकिन बाजार पहुंचने पर बारिश के सीजन से जुड़ी वस्तुएं देखने को मिलती हैं. इनमें से एक नाम है सब्जियों का राजा ककोरा.
विशेषज्ञ ककोरा को सबसे ताकतवर मानते हैं, क्योंकि यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है. खास बात यह है इसे खेतों में नहीं उगाया जाता है. इसका जन्म प्राकृतिक रूप से स्वत: होता है. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ककोरा की तलाश में जंगल की ओर निकलते हैं.
ककोरा बारिश के मौसम में उस स्थान पर पैदा होता है, जहां पर घने कटीले पेड़ पौधे होते हैं. यह बेल में लगने वाली सब्जी है, इसलिए इसकी बेल तैयार होती है, जो कटीली झाड़ियों पर चढ़ जाती है.
ककोरा की सब्जी में हर वो तत्व मौजूद होता है जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक होता है. इसमें कई बीमारियों को ठीक करने की ताकत होती है.
ककोरा में अद्भुत औषधीय गुण पाए जाते हैं. सूजन, बुखार, मूत्र विकार, श्वास संबंधी रोग इलाज सब्जी से बनी औषधि से किया जा सकता है. यह अधिकतर पहाड़ी, घनी कटीले पेड़ पौधों के बीच पैदा होता है.
सेहत का है खजानाककोरा पूरी तरह से जैविक सब्जी है. इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और आयरन पाया जाता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों में कई स्वास्थ्य समस्याएं को दूर करने की क्षमता होती है.
ककोरा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, फाइबर, बहुत से खनिज पाए जाते हैं. इसके अलावा ककोरा में एस्कॉर्बिक एसिड, कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन और नियासिन जैसे आवश्यक विटामिनों की कम मात्रा उपस्थित रहती है. इन सभी पोषक तत्वों की मौजूदगी के कारण यह हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है.
ककोरा का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से रक्त प्रवाह में आने वाली समस्याओं को दूर किया जा सकता है. इसके सेवन से रक्त का संचार ठीक रहता है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है. ककोरा में विटामिन ए की मात्रा भरपूर होती है. विटामिन ए आंखों के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है.