देश में मधुमेह, हाइपरटेंशन आदि जीवन शैली से संबंधित बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। ऐसे मरीजों का इलाज डॉक्टर दवाइयों से करते हैं। लेकिन ऐसे गंभीर रोगों के इलाज में वनस्पति आधारित पोषक आहार काफी कारगर साबित हो रहे हैं और इसके प्रमाणित परिणाम भी सामने आए हैं। इन्हीं परिणामों से ‘पैन इंडिया’ नामक डॉक्टरों की एक संस्था डॉक्टरों को जागरूक कर रही है। ताकि ऐसे मरीजों का इलाज डॉक्टर दवाई से पहले प्रमाणित किए गए पोषक आहारों से कर सकें। फिजिशियन एसोसिएशन फॉर न्यूट्रिशन इंडिया (पैन इंडिया) वैश्विक एनजीओ पैन इंटरनेशनल की भारतीय शाखा है, जो पोषण को स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का मुख्या हिस्सा बनाकर विश्व स्तर पर आहार संबंधी मृत्यु को ख़त्म करने के मिशन पर है|
पैन इंडिया की ओर से रविवार को जुहू में 11वां स्वास्थ्य शिक्षा सेमिनार आयोजित किया गया था। यह सेमिनार प्रमाणित पोषक आहारों पर डॉक्टरों का ध्यान केंद्रित और जागरूक करने के लिए किया गया था।
इस सेमिनार में डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों ने हाइपर टेंशन, मधुमेह जैसी जीवनशैली आधारित बीमारियों को नियंत्रित करने और रिवर्स करने में पोषक आहार को उपचार में शामिल करने की भूमिका पर चर्चा की गई। इस दौरान कई डॉक्टरों ने वनस्पति पोषक आहार से उनकी बीमारी में आए सुधार के बारे में जानकारी भी साझा की है।
पैन इंडिया का 25 हजार चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य
पैन इंडिया की चिकित्सा निदेशक डॉ. राजीना शाहीन ने बताया कि पैन इंडिया का लक्ष्य पांच सालों में 25 हजार चिकित्सकों को प्रशिक्षित करना है, जो 250 मिलियन से 500 मिलियन तक के लोगों की खाने की आदतों में बदलाव ला सकेंगे।
उन्होंने बताया कि अभी तक 5 हजार से अधिक स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित किया गया है। इसमें 3 हजार मेडिकल स्टूडेंट और 2 हजार डॉक्टर शामिल है।
यह है पैन इंडिया का उद्देश्य:
चिकित्सा सलाहकार डॉ. रूपा शाह ने बताया कि चिकित्सक सबसे पहले बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए पोषण की शक्ति का उपयोग नहीं करते हैं। अब समय आ गया है कि स्वस्थ्य देखभाल से जुड़े पेशेवरों को नुस्खे से एक कदम पहले सोचना शुरू कर देना चाहिए। किसी जीवनशैली संबंधी बीमारी को प्रबंधित करने की तुलना में उसे रोकना कहीं अधिक आसान है। हमारा उद्देश्य मेडिकल स्टूडेंट और चिकित्सकों को शिक्षित करना है, जिससे वह वनस्पति पोषक आहार का उपयोग अपने रोगियों के इलाज के लिए प्रभावी रूप से कर सके।
एम्स और मेडिकल कॉलेजों में प्रभाव:
पैन इंडिया की पोग्राम मैनेजर श्रुति शर्मा ने बताया कि जेधपुर, नागपुर और बिलासपुर के एम्स मेडिकल कॉलेज सहित बंगलुरु, कोयंबटूर, मैसूर, जलगांव और भरतपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पैन के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। इतना ही नहीं इन प्रमाणित पोषक आहारों को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर भी सहमति जताई गई।
पैन इंडिया की पैनलिस्ट, डॉ. रूपिंदर कौर मुरजानी, जो कि एक प्रसिद्ध सोशल वर्कर के अलावा एक कैंसर सर्वाइवर है उन्होंने अपने कैंसर सर्वाइवर की अपनी उल्लेखनीय रिकवरी कहानी साझा करते हुए कहा कि, “कई वर्षों तक कैंसर से जूझने से मेरे शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ा, मेरी हड्डियाँ नाजुक हो गईं और मेरी एथलेटिक की आकांक्षाएँ भंग हो गई थी। अनगिनत सप्लीमेंट और आहार लेने के बावजूद, एक कोच का सुझाव था जिसने सब कुछ बदल दिया। धीरे-धीरे पौधों पर आधारित आहार अपनाने और डीटोक्सिफीकेशन को अपनाने के बाद, मैंने खुद में एक चमत्कारी परिवर्तन देखा। अब न शरीर में दर्द रहता है, न सूजन। अनार, क्रैनबेरी और संतरे का रस मेरी सुबह का अमृत बन गया है, जो मुझे अंदर से पोषण देता है। मेरे केमो उपचार के दौरान कैलोरी की कमी वाला आहार मेरा निरंतर साथी रहा हैं|