होलिका दहन का महत्व क्या है?
होलिका दहन उत्सव के दौरान, लोग आग में उबटन फेंकते हैं जो एक प्रकार का पेस्ट होता है. ऐसा माना जाता है कि यह लोगों को साल भर रोग मुक्त रखता है और फिर होलिका की राख का उपयोग माथे पर तिलक लगाने के लिए किया जाता है और फिर निश्चित रूप से अगले दिन के भव्य समारोह की तैयारी की जाती है.
ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन की अग्नि नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है. होली एक ऐसा पर्व है जो लोगों को भेदभाव को भुलाकर प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ावा देने का संदेश देती है.
Holi festival रंगों के त्योहार होली से पहले होलिका दहन का मतलब है आग जलाना. यह नाम एक पुरानी कहानी से जुड़ा है. होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी और दहन का मतलब होता है जलना.
कहानी के अनुसार, हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद को मारना चाहता था और इसके लिए उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली. होलिका को भगवान विष्णु ने एक विशेष कपड़ा दिया था जो उसे आग से बचा सकता था.
होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने की कोशिश की लेकिन भगवान के आशीर्वाद से प्रह्लाद बच गए. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
होली मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है और कहा जाता है कि होली का त्योहार ऐसे समय में आता है जब मौसम ठंड से गर्मी में बदलता है और इस बदलाव के कारण लोगों को थकान और आलस्य महसूस होता है.
इस थकान को दूर करने के लिए लोग ऊंची आवाज में गाते और बोलते हैं और इससे शरीर को नई ऊर्जा मिलती है और आलस्य दूर होता है.
होलिका दहन का त्योहार बुराई की अच्छाई पर जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. वहीं, भारतीय नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शुरू होता है. इससे पूर्व पुराने संवत्सर को विदाई देने और इसकी नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए भी होलिका दहन किया जाता है. इसलिए इसे कहीं-कहीं संवत जलाना भी कहा जाता है.
होलिका दहन क्यों मनाया जाता है?
होलिका नन्हे प्रह्लाद को गोद में लेकर आग की चिता पर बैठ गई. लेकिन, भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर भस्म हो गई हो गई और प्रह्लाद बच गया.
इसके बाद से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाने लगा और हर साल होली का त्योहार मनाया जाने लगा.
होलिका, वे राक्षस कुल के महाराज हिरण्यकश्यप की बहन थीं. होलिका को सिंहिका के नाम से भी जाना जाता है.
होलिका से जुड़ी कुछ और बातें:
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होलिका को अग्निदेव से वरदान मिला था कि वह अग्नि में नहीं जल सकतीं.
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होलिका, भक्त प्रह्लाद की बुआ थीं.
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हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका को आग में प्रवेश करने के लिए कहा था.
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भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई.
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होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
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होली से एक रात पहले, उत्तर भारत में चिताएं जलाई जाती हैं.
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होलिका, हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप नामक दैत्यों की बहन थीं.
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होलिका, राक्षसी भक्त प्रहलाद की बुआ थीं.
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मान्यता है कि होलिका को एक वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती थीं.