शुक्रवार (9 अगस्त) को आमिर की दूसरी एक्स वाइफ किरण राव के निर्देशन में बनी फिल्म की सुप्रीम कोर्ट में स्क्रीनिंग हुई। वहां आमिर भी किरण के साथ पहुंचे। सोशल मीडिया पर स्क्रीनिंग की क्लिप सामने आई है, जहां जजों ने इस फिल्म को देखा। स्क्रीनिंग सी-ब्लॉक प्रशासनिक भवन परिसर के ऑडोटोरियम में शाम 4.15 से 6.20 बजे तक हुई।
तो मैं सोचता था कि अभी मेरे पास काम करने के लिए और 15 साल हैं। उसके बाद तो ऐसा कि जिंदगी किसने देखी है। तब मैंने सोचा कि मेरी एक फिल्म तो 3 साल में आती है। मैंने जो इतने सालों में सीखा है उसे मैं लोगों को देना चाहता हूं। इस इंडस्ट्री, लोग और देश ने मुझे बहुत कुछ दिया है तो मैं भी लौटाना चाहता हूं। बतौर एक्टर तो 3 साल में एक ही फिल्म दे पाऊंगा लेकिन बतौर प्रोड्यूसर कई फिल्में दे सकता हूं।
वो कहानियां जो मेरे दिल को छूती हैं। बता दें कि ‘लापता लेडीज’ में दो नए शादीशुदा कपल को दिखाया जाता है। बारात ट्रेन से आ रही होती है और रास्ते में दोनों दुल्हनें बदल जाती हैं। फिल्म में स्पर्श श्रीवास्तव, प्रतिभा रांटा, नितांशी गोयल व रवि किशन के मेन रोल हैं। फिल्म सिनेमाघरों में 1 मार्च को रिलीज हुई थी। अब नेटफ्लिक्स पर इसका मजा लिया जा सकता है।
फिल्ममेकर देवाशीष मखीजा ने कई बेहतरीन फिल्में बनाई हैं। इनमें ‘अज्जी’, ‘भोंसले’ और इसी साल रिलीज हुई मनोज बाजपेयी स्टारर ‘जोरम’ शामिल हैं। हाल ही में मखीजा ने एक इंटरव्यू में इंडस्ट्री में बने रहने की मुश्किलों के बारे में बात की। लॉन्ग लाइव सिनेमा यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में मखीजा ने कहा कि मुझे पहली फिल्म रिलीज करने में 14 साल लग गए थे।
अगर उस समय किसी ने मुझसे कहा होता कि करिअर शुरू करने में इतना समय लगेगा, तो मैं बैग पैक करके कोलकाता लौट जाता। मैं पिछले दो दशक से मुंबई में काम कर रहा हूं, लेकिन अभी तक आर्थिक रूप से स्टेबल नहीं हूं। मुझे अभी भी इस बात की चिंता है कि मेरा अगला चेक कहां से आएगा। आज भी जब मैं किसी एक्टर या किसी और को मीटिंग के लिए बुलाता हूं, तो वो पूछते हैं कि आपका ऑफिस कहां है।
मैं कहता हूं, मेरा ऑफिस नहीं है, इसलिए आप मुझे बताएं कि आप कहां हैं, या फिर हम किसी कॉफी शॉप में मिलेंगे। मेरे पास टू व्हीलर है न कार। मेरी लेटेस्ट फिल्म ‘जोरम’ ने मुझे आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया। मुझे ये भी नहीं पता कि मैं अगले महीने अपने कुक को पैसे दे पाऊंगा या नहीं। ये सारी बातें दिमाग में चलती रहती हैं। मुझे 20 मोर्चों पर फायरिंग करते रहना है ताकि कम से कम एक गोली सही निशाने पर लगे।
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