जी-20 में वे देश शामिल हैं, जो अर्थव्यवस्था के मामले में शीर्ष पर हैं. हर साल इन देशों द्वारा एक सम्मेलन (समिट) किया जाता है. इस दौरान ज़ी-20 देशों के टॉप लीडर्स प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री आदि सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं. मंत्री स्तर की बैठक में मंत्री, गवर्नर आदि शामिल होते हैं. इसलिए इसे एक अहम समिट का दर्जा दिया गया है.
समिट के दौरान हर देश अपना दृष्टिकोण रखता है और कई व्यापार समझौतों पर अलग-अलग देशों से बात कर सकता है. समिट में देशों के बीच शांतिप्रिय माहौल को कायम रखने पर भी बल दिया जाता है. इस वर्ष (2022) के सम्मेलन में भारत को इसका अध्यक्ष बनाया गया, जहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जैसे नेताओं ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
G-20 के सदस्य देशों के नाम
जी20 में शामिल सदस्य देशों के नाम कुछ इस प्रकार हैं:
- भारत
- रूस
- अमेरिका
- फ्रांस
- जापान
- ऑस्ट्रेलिया
- चीन
- यूनाइटेड किंगडम
- जर्मनी
- ब्राज़ील
- कनाडा
- सऊदी अरब
- दक्षिण अफ्रीका
- अर्जेंटीना
- मेक्सिको
- इंडोनेशिया
- इटली
- रिपब्लिक ऑफ कोरिया
- तुर्की
- यूरोपीय संघ
अगर इन सभी G-20 member देशों की GDP को जोड़ा जाए तो यह दुनिया भर के देशों की 85 फीसदी है. इसलिए इन्हें दुनिया के शक्तिशाली देशों में गिना जाता है. इस सम्मेलन को इसलिए भी अहम माना जाता है, क्योंकि दुनिया की 60 फीसदी आबादी इन 20 देशों से ही आती है. हर साल G-20 की मेजबानी अलग-अलग देशों के पास रहती है.
G-20 के कार्य
G-20 में शामिल देशों के शीर्ष नेता वर्ष में एक बार बैठक जरूर करते हैं. इसके अलावा, वर्ष के दौरान, सभी सदस्य देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर नियमित रूप से बैठक करते रहते हैं, जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और वित्तीय नियमन में सुधार लाने और जरूरी प्रमुख आर्थिक सुधारों पर चर्चा की जाती है. इन बैठकों के अलावा कई अन्य बैठकें चलती रहती हैं जिनमें वरिष्ट अधिकारी और विशेष मुद्दों पर नीतिगत समन्वय पर काम करने वाले कार्य समूह शामिल होते हैं.
G-20 कैसे काम करता है?
जी20 के कार्यों को दो ट्रैक में बांटा गया है:
Finance Track – इसमें सदस्य देशों के वित्त मंत्री, केंद्रीय बैंक के गवर्नर और उनके प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की जाती हैं, जहां मौद्रिक और राजकोषीय मुद्दों, वित्तीय विनियमों इत्यादि पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. ये बैठकें साल में कई बार होती हैं.
G-20 का उद्देश्य क्या है?
G-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय कार्यसूची के अत्यंत महत्वपूर्ण पहलुओं पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मुख्य मंच है, जो दुनियाभर की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने का काम करता है. वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत विकास के लिए सदस्य देशों के बीच नीतियों का सामंजस्य व तालमेल स्थापित करना. भविष्य में वित्तीय संकट को रोकने और जोखिमों को कम करने वाले वित्तीय नियमों को प्रोत्साहन देना.नई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना तैयार करना.
G-20 में किस तरह के मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है?
G-20 वैश्विक महत्व के मुद्दों के एक व्यापक एजेंडे पर केंद्रित है, हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दे एजेंडे पर हावी होते हैं, पिछले कुछ सालों से अतिरिक्त विषय अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं, जैसे:
- भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई
- जलवायु परिवर्तन
- वैश्विक स्वास्थ्य
- रोजगार
- आर्थिक बाजार
- कृषि
- ऊर्जा
- जॉब मार्केट में महिलाओं की उन्नति
- आतंकवाद विरोधी
- कर और राजकोषीय नीति
G-20 की स्थापना
जी20 की स्थापना 25 सितंबर 1999 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में, विश्व के प्रमुख देशों के संगठन G7 द्वारा की गई. एशिया के वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और बैंक के गवर्नरों ने बैठक की शुरुआत की. वित्तीय संकट को देखते हुए पहले G-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा की गई, जिसका आयोजन 2008 में 14-15 नवंबर को किया गया. तब से प्रत्येक वर्ष G-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाने लगा. प्रत्येक वर्ष G-20 के अध्यक्ष देश द्वारा, अन्य सदस्य देशों को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है.
जी20 का मुख्यालय कहां है? (G-20 Headquarters in Hindi)
G-20 का मुख्यालय कहीं नहीं है, क्योंकि प्रत्येक वर्ष जी20 (G-20) शिखर सम्मेलन का आयोजन अलग-अलग देशों में किया जाता है. इसमें सभी देशों को एक अतिथि के रूप में बुलाया जाता है, जो बैठक में अपनी-अपनी राय रखते हैं और सबकी सहमति को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जाते हैं.
G-20 शिखर सम्मेलन का विवरण
जी-20 शिखर सम्मेलन | दिनांक | मेजबान देश | स्थान और मेजबान शहर |
1 | 14 – 15 नवंबर, 2008 | यूनाइटेड स्टेट्स | राष्ट्रीय भवन संग्रहालय, वाशिंगटन, डी.सी |
2 | 02 अप्रैल, 2009 | यूनाइटेड किंगडम | एक्सएल लंदन, लंदन |
3 | 2-25 सितंबर, 2009 | यूनाइटेड स्टेट्स | डेविड एल लॉरेंस कन्वेंशन सेंटर, पिट्सबर्ग |
4 | 26-27 जुलाई, 2010 | कनाडा | मेट्रो टोरंटो कन्वेंशन सेंटर, टोरंटो |
5 | 11-12 नवंबर, 2010 | दक्षिण कोरिया | COEX सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र, सियोल |
6 | 03-04 नवंबर, 2011 | फ्रांस | पालिस डेस फेस्टिवल, कान |
7 | 18-19 जून, 2012 | मेक्सिको | लॉस काबोस कन्वेंशन सेंटर, सैन जोस डेल काबो, लॉस काबोस |
8 | 05-06 सितम्बर, 2013 | रूस | कॉन्स्टेंटाइन पैलेस, सेंट पीटर्सबर्ग |
9 | 15-16 नवंबर, 2014 | ऑस्ट्रेलिया | ब्रिस्बेन सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र, ब्रिस्बेन |
10 | 15-16 नवंबर, 2015 | तुर्की | रेग्नम कार्या होटल कन्वेंशन सेंटर, सेरिक, एंटाल्या |
11 | 04-05 सितम्बर, 2016 | चीन | हांग्जो अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र, हांग्जो |
12 | 07-08 जुलाई, 2017 | जर्मनी | हैम्बर्ग मेस्सी, हैम्बर्ग |
13 | 30 नवंबर – 01 दिसंबर, 2018 | अर्जेंटीना | कोस्टा सालगुएरो सेंटर, ब्यूनस आयर्स |
14 | 28-29 जून, 2019 | जापान | इंटेक्स ओसाका, ओसाका |
15 | 21-22 नवंबर, 2020 | सऊदी अरब | किंग अब्दुल्ला वित्तीय जिला, रियाद |
16 | 30-31 अक्टूबर, 2021 | इटली | रोम |
17 | 15-16 नवंबर, 2022 | इंडोनेशिया | अपूर्व केम्पिंस्की, बाली |
18 | 09-10 सितंबर, 2023 | भारत | प्रगति मैदान कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली |
19 | 2024 (तिथि घोषित नहीं) | ब्राज़ील |