कल्याण लोक सभा में इंफ्रास्ट्रक्चर मैन के रूप में जाने जाने वाले कल्याण के लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे के खिलाफ इंडिया गठबंधन को अभी तक कोई भी उम्मीदवार अभी तक नहीं मिल पा रहा.
आपको बता दे श्रीकांत शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सुपुत्र है और वह कल्याण के से दो बार से लोकसभा के सांसद है पिछले पिछला लोकसभा इलेक्शन श्रीकांत शिंदे ने लगभग 3 लाख से ज्यादा वोटो से जीता था.
श्रीकांत शिंदे को कल्याण में एक संवेदनशील नेता के तौर पर जाना जाता है जो अपने लोकसभा के ज्यादातर सभी मुद्दों पर तुरंत एक्शन लेते हैं. यही नहीं उन्होंने अपने कार्यकाल में कल्याण लोकसभा में कई ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर के काम पूरे किए या फिर कई प्रोजेक्ट पर अभी काम चालू है जिसके चलते उन्हें लोग इंफ्रास्ट्रक्चर मैन के रूप में भी बुलाते है.
बताया जाता है जब शिवसेना दो गुटों में बटी इस वक्त श्रीकांत शिंदे ने कल्याण लोकसभा के ज्यादातर पदाधिकारी शिंदे गट की शिव सेना में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
श्रीकांत शिंदे ने अपने पार्टी में पकड़ को मजबूत तो बनाए रखा है साथ ही चुनाव के पहले उन्होंने ना सिर्फ भाजपा के साथ स्थानीय स्तर पर मतभेद के बावजूद ट्यूनिंग जमाने की कोशिश की है बल्कि, सिंधी बहुल उल्हासनगर शहर में ताकतवर कालानी परिवार और उल्हासनगर में राजनीतिक गेम चेंजर कहे जाने वाले जीवन इदनानी को भी अपने साथ जोड़ा.
यही कारण है कि देश में लोकसभा चुनाव का आगाज होने पर राज्य में ज्यादातर सभी सीटों पर कई पार्टी के कैंडिडेट लोकसभा का कैंडिडेट बनने के लिए पार्टी में कवायद कर रहे है लेकिन यहां कल्याण लोकसभा में स्थानीय स्तर पर कोई भी उद्धव गट का नेता श्रीकांत शिंदे के खिलाफ चुनाव लड़ने को खुद से तैयार नहीं दिख रहा.
आज हम आपको बताएंगे अब तक इस सीट से किन लोगों के चुनाव लड़ने की अटकलें लगी है और अब उनकी क्या स्थिति है.
पूर्व विधायक सुभाष भोईर ने पहले ही हाथ उठा लिया:
अगर अब तक के कल्याण लोकसभा में हो रहे राजनीतिक गतिविधि को देखे तो यहां सबसे पहले श्रीकांत शिंदे के खिलाफ पूर्व विधायक सुभाष भोईर के चुनाव लड़ने की बात चल रही थी लेकिन बाद में चर्चा चली की भोईर कई कार्यक्रमों में श्रीकांत शिंदे के साथ गुप्त बैठक करते दिखे जिसके बाद पार्टी से उनका नाम लगभग गायब हो गया.
कार्यकर्ताओं ने आदित्य ठाकरे से भी कल्याण लोकसभा चुनाव लड़ने की लगाई थी गुहार:
उद्धव की शिव सेना के स्थानीय नेताओं की माने तो अगर श्रीकांत शिंदे को हराना है तो उन्हें कोई ताकतवर उम्मीदवार यहां से श्रीकांत शिंदे के सामने खड़ा करना होगा ऐसे में लोगों ने मांग की थी की खुद उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को चुनाव में खड़ा करें. आदित्य के नाम की चर्चा के बीच श्रीकांत शिंदे ने खुद आदित्य को चुनौती दी की वह उनके खिलाफ चुनाव लड़के दिखाए लेकिन आदित्य ठाकरे ने पार्टी के कार्यकर्ताओं की मांग और श्रीकांत शिंदे के चुनौती को अनदेखा कर दिया.
आदित्य के बाद सुषमा अंधारे और वरुण सरदेसाई की उठी मांग:
बताया जाता है जब आदित्य ठाकरे ने कल्याण लोकसभा चुनाव लड़ने की मांग ठुकरा दी तब कार्यकर्ताओं ने यहां से शिवसेना की फायर ब्रांड नेता सुषमा अंधारे या फिर शिवसेना के वरुण सरदेसाई उन्हे चुनाव लड़ना चाहिए इस तरह की कवायत शुरू की. बीच में सुषमा अंधारे और वरुण सरदेसाई ने कल्याण का दौरा भी किया.
लेकिन सूत्रों की माने तो इन दोनों नेताओं ने भी कल्याण लोकसभा से श्रीकांत शिंदे के खिलाफ चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
अब केदार दिघे की उठ रही है मांग:
बताया जा रहा है आदित्य, सुषमा अंधारे और वरुण सरदेसाई के बाद अब शनिवार को स्थानीय पदाधिकारीयो ने कल्याण लोकसभा से दिवंगत शिव सेना नेता आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे इस कल्याण लोकसभा से श्रीकांत शिंदे के खिलाफ चुनाव लडे इस तरह की मांग उठाई है. थाने में पत्रकारों से बातचीत में केदार दिघे ने बताया की उनके चुनाव लड़ने की मांग की खबर उन्हे न्यूज से पता चली है लेकिन पार्टी में उनका किसी से इस मुद्दे पर कोई बात नही हुई है. हालाकि केदार दिघे ने यह भी कहा की अगर पार्टी हाई कमांड उन्हे चुनाव लड़ने के लिए कहती है तो वह तैयार है.
केदार दिघे भले कहे की अगर पार्टी कमांड उन्हे चुनाव लड़ने के लिए कहती है तो वह तैयार है लेकिन यह भी सच्चाई है कि उन्होंने चुनाव लड़ने की मांग खुद नही की. शायद केदार दिघे को भी सच्चाई का अंदाजा है कि कल्याण लोकसभा से श्रीकांत शिंदे के खिलाफ चुनाव लड़ना आसान नहीं है.
कौन होगा उम्मीदवार सबकी निगाहें अब उसी पर टिकी:
भलेही पार्टी ने अभितक कोई कैंडिडेट को कल्याण लोकसभा से फाइनल ना किया हो लेकिन उद्धव गट के शिव सेना के अलावा इंडिया गटबंधन के बाकी सदस्यों में भी यही उत्सुकता है कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे के खिलाफ किसे उम्मीदवार बनाएंगे.